Tuesday, July 19, 2011

जमशेदपुर में उड़ी सूचना कानून की धज्जियां

* 21 पेज की सूचना के एवज में जिला सूचना अधिकारी ने मांगे बीस हजार
* यह गैर कानूनी है, आवेदक आयोग में आये तो कार्रवाई की जायेगी : सूचना आयोग
* सूचना के लिए प्रति कार्य दिवस 1038 रुपये न लेने के संबंध कोई अधिसूचना नहीं मिली : डीडीसी सह सूचना अधिकारी

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अशोक सिंह, जमशेदपुर
कहा जाता है कि कानून बनने के साथ ही कानून को तोड़ने के रास्ते भी ईजाद हो जाते हैं। झारखंड में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। सूचना कानून के जरिये नागरिक इसका भंडाफोड़ भी कर रहे हैं। लेकिन अधिकारियों ने सूचना कानून में सेंध लगाने का अच्छा बहाना ढूंढ लिया। झारखंड मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग के आदेश का सहारा लेकर सूचना मांगने वाले लोगों का भयादोहन शुरू हो गया है। इसी कड़ी में जमशेदपुर के कदमा निवासी विनोद ठाकुर भी शामिल हैं। कुछ माह पूर्व सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत विनोद ठाकुर ने जमशेदपुर के उप विकास आयुक्त सह जन सूचना पदाधिकारी से वर्ष 2000 से सितंबर 2009 तक सांसद व विधायक निधि से किये गये विकास कार्यो की जानकारी मांगी थी। 121 पेज की सूचना के एवज में पूर्वी सिंहभूम के जिला योजना पदाधिकारी सह प्रभारी पदाधिकारी, विकास शाखा की ओर से 20, 000 रुपये अग्रिम राशि की मांग की गयी है। हालांकि वर्ष 2007-08 एवं 2008-09 में विधायकों व सांसदों द्वारा कराये गये विकास कार्यो की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गयी है। शेष जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आवेदक से 1038 रुपये प्रति कार्य दिवस के रूप में लगभग 20,000 रुपये अग्रिम राशि उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है। इस संबंध में ध्यान देने की बात यह है कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आवेदक से सिर्फ दो रुपये प्रति पेज व 50 रुपये प्रति सीडी ही लेने का प्रावधान है। लेकिन जिला योजना पदाधिकारी ने वांछित प्रतिवेदन को तैयार करने में काफी समय लगने का हवाला देते हुये 121 पन्नों की सूचना के लिए प्रति कार्य दिवस 1038 रुपये के हिसाब से 20,000 रुपये की मांग की है। इस संबंध में जिला सूचना पदाधिकारी सह उप विकास आयुक्त सीताराम बारी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में अभी तक कोई अधिसूचना नहीं मिली है। उधर आवेदक ने इस मामले की शिकायत झारखंड मुख्य सूचना आयुक्त व केन्द्रीय सूचना आयोग में कर दी है।यह समस्या मंत्रिमंडल (निर्वाचन) विभाग के आदेश से आयी है। आदेश गत पांच जून को राज्य के सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह उपायुक्तों के पास भेजा गया था। यही आदेश सूचना के एवज में लंबी चौड़ी फीस मांगने का हथियार बन गया। हालांकि इस आदेश को राज्य सूचना आयोग ने निरस्त कर दिया है। लेकिन इसकी सूचना जिला प्रशासन को नहीं है।झारखंड राज्य सूचना के आयुक्त पीके महतो का कहना है कि फीस व लागत संबंधी नियम बनाने व ऐसे निर्देश निर्गत करने का अधिकार राज्य कार्मिक व प्रशासनिक विभाग के सिवाय और किसी को नहीं है।झारखंड आरटीआई फोरम के सचिव विष्णु राजगढि़या ने इस मामले को पूरी तरह से गैरकानूनी बताया है। इससे झारखंड की सूचना आयोग की अक्षमता साबित होती है। उन्होंने कहा कि प्रभारी मुख्य सूचना आयुक्त रामविलास गुप्ता के उदार रवैये के कारण ही सूचना कानून की हत्या हो रही है।
ashok-ashoksingh.blogspot.com

1 comment:

  1. respected sir ,
    i seek help regarding rti act ,
    there is discouraging provision in jharkahnd sate rti act ,
    the problem is that they do not accept IPO and neither do they provide the name , of payee .
    so kindly help , how can i file an application , when i do not have any details of payee , though i have the details of pio . thanks .

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