Sunday, July 17, 2011

Jharkhand Right to Service Bill (Hindi)

झारखण्ड राज्य सेवा देने की गारंटी विधेयक, 2011 (विधेयक प्रारूप)
राज्य की जनता को नियत समय-सीमा में सेंवाएँ उपलब्ध कराने हेतु और उससे संबंधित
एवं आनुषंगिक मामलों का उपबन्ध करने के लिए एक विधेयक

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रारम्भ ।
(1) यह अधिनियम, ‘झारखण्ड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम, 2011‘ कहा जा सकेगा।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण झारखण्ड राज्य में होगा।
(3) यह ऐसी तिथि से प्रवृत्त होगा जैसा कि राज्य सरकार, राजकीय गजट में अधिसूचना द्वारा, नियत करें।

2. परिभाषाएँ।
इस अधिनियम में, यदि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो:-
‘‘(क) नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी‘‘ से अभिप्रेत है धारा-3 के अधीन सेवा उपलब्ध करने के लिए इस रूप में अधिसूचित कोई प्राधिकार और इनमें स्थानीय स्वायत्त शासन का कोई शामिल है;
(ख) ‘‘ पात्र व्यक्ति‘‘ से अभिप्रेत ऐसे व्यक्ति से है जो अधिसूचित सेवा के लिए पात्र हो;
(ग) ‘‘प्रथम अपीलीय पदाधिकारी‘‘ से अभिप्रेत है कोई प्राधिकार जो धारा-3 के अधीन इस रूप में अधिसूचित किया जाय और इसमें स्थानीय स्वायत्त शासन का कोई शामिल है;
(घ) ‘‘विहित‘‘ से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन बनी नियमावली द्वारा विहित;
(ड़)‘‘सेवा का अधिकार‘‘ से अभिप्रेत है धारा-3 के अधीन अधिसूचित कोई सेवा;
(च) ‘‘द्वितीय अपीलीय प्राधिकार‘‘ से अभिप्रेत है कोई प्राधिकार जो धारा-3 के अधीन इस रूप में अधिसूचित किया गया और इसमें स्थानीय स्वायत्त शासन का कोई शामिल है;
(छ) ‘‘राज्य सरकार‘‘ से अभिप्रेत है झारखण्ड सरकार;
(ज) ‘‘नियत समय-सीमा‘‘ से अभिप्रेत है धारा-3 के अधीन अधिसूचित नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी द्वारा सेवा उपलब्ध कराने या प्रथम अपीलीय पदाधिकारी द्वारा अपील का विनिश्चय करने हेतु अधिकतम समय।

3. नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी, प्रथम अपीलीय पदाधिकारी, द्वितीय अपीलीय प्राधिकार तथा नियम समय सीमा की अधिसूचना।
राज्य सरकार, समय-समय पर सेवाओं, नामनिर्दिष्ट पदाधिकारियों प्रथम अपीलीय पदाधिकारियों, द्वितीय अपीलीय प्राधिकारों तथा नियत समय-सीमाओं राज्य का क्षेत्र जहाँ यह अधिनियम लागू होगा, को अधिसूचित करेगी।

4. नियत समय-सीमा में सेवा प्राप्त करने का अधिकार।
नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी, नियत समय-सीमा में, सेवा प्राप्त करने के लिए पात्र व्यक्ति को धारा-3 के अधीन अधिसूचित सेवा उपलब्ध करायेगा।

5. नियम समय-सीमा में सेवाएँ उपलब्ध कराना।
(1) अधिनियम के अधीन अधिसूचित सेवाओं के लिए समर्पित किये गये किसी आवेदन को अधिनियम के अधीन आवेदन माना जायेगा। नियत समय-सीमा, यदि धारा-3 के अधीन अधिसूचना में अन्यथा स्पष्ट नहीं किया हुआ है तो, उस तिथि से प्रारम्भ होगी जब अधिसूचित सेवा के लिए अपेक्षित आवेदन नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी को या उसके अधीनस्थ आवेदन प्राप्त करने के लिए प्राधिकृत किसी व्यक्ति को समर्पित किया जाय। ऐसे आवेदन की सम्यक रूप से अभिस्वीकृति दी जायेगी।
(2) उपनियम (1) के अधीन आवेदन प्राप्त होने पर नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी नियत समय-सीमा में सेवा उपलब्ध करायेगा या आवेदन अस्वीकृत करेगा और आवेदन की अस्वीकृति की दशा में कारणों को लेखन द्वारा अभिलिखित करेगा और आवेदक को सूचित करेगा।

6. अपील
(1) कोई व्यक्ति, जिसका आवेदन धारा-5 की उपधारा (2) के अधीन अस्वीकृत किया जाता है या जिसे नियत समय-सीमा में सेवा उपलब्ध नहीं की जाती है, आवेदन की अस्वीकृति, की तिथि या नियम समय-सीमा की समाप्ति के तीस दिनों के अन्दर प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के समक्ष अपील दाखिल कर सकेगा:
परन्तु यह कि प्रथम अपीलीय पदाधिकारी तीस दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद भी अपील ग्रहण कर सकेगा यदि वह सन्तुष्ट हो कि अपीलकत्र्ता को समय पर अपील दाखिल करने से पर्याप्त कारणों से रोका गया था।
(2) प्रथम अपीलीय पदाधिकारी नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी को विनिर्दिष्ट अवधि में सेवा उपलब्ध कराने के लिए आदेश दे सकेगा या अपील नामंजूर कर सकेगा।
(3) प्रथम अपीलीय पदाधिकारी के विनिश्चय के विरूद्ध द्वितीय अपील विनिश्चय किये जाने की तिथि से साठ दिनों के अन्दर, द्वितीय अपीलीय प्राधिकार के समक्ष होगी:
परन्तु यह कि द्वितीय अपीलीय प्राधिकार साठ दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद भी अपील ग्रहण कर सकेगा यदि वह सन्तुष्ट हो कि अपीलकत्र्ता को समय पर अपील दाखिल करने से पर्याप्त कारणों से रोका गया था।
(4) (क) द्वितीय अपीलीय प्राधिकार नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी को ऐसी अवधि के अन्दर सेवा उपलब्ध करने का आदेश दे सकेगा जैसा वह विनिर्दिष्ट करे या अपील नामंजूर कर सकेगा।
(ख) सेवा उपलब्ध करने के आदेश के साथ, द्वितीय अपीलीय प्राधिकार, धारा-7 के प्रावधानों के अनुसार दंड अधिरोपित कर सकेगा।
(5) (क) यदि नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी धारा-5 की उपधारा (1) का अनुपालन नहीं करता है तो ऐसे अनुपालन से व्यथित आवेदक प्रथम अपीलीय पदाधिकारी को सीधे आवेदन समर्पित कर सकेगा। इस आवेदन का निष्पादन प्रथम अपील की रीति से किया जायेगा।
(ख) यदि नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी धारा-6 की उपधारा (2) के अधीन सेवा उपलब्ध करने के आदेश का अनुपालन नहीं करता है तो ऐसे अनुपालन से व्यथित आवेदक द्वितीय अपीलीय प्राधिकार को सीधे आवेदन समर्पित कर सकेगा। इस आवेदन का निष्पादन द्वितीय अपील की रीति से किया जायेगा।
(6) इस धारा के अधीन किसी अपील का विनिश्चय करते समय प्रथम अपीलीय पदाधिकारी तथा द्वितीय अपीलीय प्राधिकार को निम्नांकित मामलों में, वही शक्तियाँ होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का 5) के अधीन किसी वाद के विचारण के समय किसी सिविल कोर्ट को होता है, यथा -
(क) दस्तावेजों की प्रस्तुत करने एवं निरीक्षण की अपेक्षा करने;
(ख) नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी एवं अपीलकत्र्ता को सुनवाई के लिए सम्मन जारी करने; तथा
(ग) कोई अन्य मामला जो विहित किया जाय।

7. दंड।
(1) (क) जहाँ द्वितीय अपीलीय प्राधिकार की राय हो कि नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी बिना पर्याप्त एवं युक्तियुक्त करणों के, सेवा उपलब्ध करने में असफल रहा है, तो वह कोई एकमुश्त दंड अधिरोपित कर सकेगा जो पाँच सौ रूपये से कम नहीं एवं पाँच हजार रूपये से अधिक नहीं होगा।
(ख) जहाँ द्वितीय अपीलीय प्राधिकार की राय हो कि नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी ने सेवा उपलब्ध करने में विलम्ब किया है, तो वह ऐसे विलम्ब के लिए दो सौ पचास रूपये प्रतिदिन की दर से नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी पर दंड अधिरोपित कर सकेगा जो पाँच हजार रूपये से अधिक नहीं होगाः
परन्तु यह कि उसपर कोई दंड अधिरोपित किये जाने के पूर्व नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी को सुनवाई की युक्तियुक्त अवसर प्रदान किया जायेगा।
(2) जहाँ द्वितीय अपीलीय प्राधिकार की राय हो कि प्रथम अपीलीय पदाधिकारी, बिना किसी पर्याप्त एवं युक्तियुक्त कारणों के, नियत समय-सीमा में अपील का विनिश्चय करने में असफल रहा है, तो वह प्रथम अपीलीय पदाधिकारी पर कोई दंड अधिरोपित कर सकेगा जो पाँच सौ रूपये से कम नहीं तथा पाँच हजार से अधिक नहीं होगा:
परन्तु यह कि उस पर कोई दंड अधिरोपित किये जाने के पूर्व प्रथम अपीलीय पदाधिकारी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान किया जायेगा।
(3) द्वितीय अपीलीय प्राधिकार यथास्थिति उपधारा (1) या (2) या दोनों, के अधीन अधिरोपित दंड में से अपीलकत्र्ता को ऐसी राशि क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दे सकेगा, जो अधिरोपित दंड से अधिक नहीं होगा।
(4) यदि द्वितीय अपीलीय प्राधिकार सन्तुष्ट हो कि नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी या प्रथम अपीलीय पदाधिकारी इस अधिनियम के अधीन सौंपे गये कत्र्तव्यों का निर्वहन करने में, बिना किसी पर्याप्त एवं युक्तियुक्त कारणों के, असफल रहा हो, तो वह उसके विरूद्ध, उस पर लागू सेवा नियमों के अधीन, अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा कर सकेगा।
(5) अधिरोपित ऐसा दंड पूर्व से अस्तित्व वाले किसी अन्य अधिनियम, नियमावली, विनियमावली एवं अधिसूचनाओं में विहित किये गये के अतिरिक्त होगा।

8. दंड राशि की वेतन से कटौती ।
धारा-7(1) या 7(2) के अधीन अधिरोपित ऐसे दंड की कटौती नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी तथा प्रथम अपीलीय पदाधिकारी एवं उनके संबंधित अधीनस्थ कर्मचारियों के वेतन से, उनकी सेवा संबंधी क्षेत्राधिकार वाले विभाग द्वारा आनुपातिक रूप से की जायेगी। संबंधित विभाग, नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी तथा प्रथम अपीलीय पदाधिकारी एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों द्वारा धारण किये जाने वाले दंड क अनुपात के विस्तृत विवरण के प्रयोजनार्थ स्थायी अनुदेश जारी करेगा।

9. पुनरीक्षण
इस अधिनियम के अधीन दंड अधिरोपित किये जाने संबंधी द्वितीय अपीलीय प्राधिकार के किसी आदेश से व्यथित नामनिर्दिष्ट पदाधिकारी या प्रथम अपीलीय पदाधिकारी, ऐसे आदेश की तिथि से साठ दिनों की अवधि के अन्दर, पुनरीक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा मनोनीत पदाधिकारी के समक्ष आवेदन कर सकेगा, जो विहित प्रक्रिया के अनुसार आवेदन का निष्पादन करेगा:
परन्तु यह कि राज्य सरकार द्वारा मनोनीत पदाधिकारी साठ दिनों की अवधि की समाप्ति के बाद भी आवेदन ग्रहण कर सकेगा, यदि वह सन्तुष्ट हो कि पर्याप्त कारणों से आवेदन समय पर समर्पित नहीं किया जा सका।

10. राज्य लोक सेवा परिदान आयोग का गठन।
राज्य सरकार, राज्यकीय गजट में अधिसूचना द्वारा, विहित संरचनायुक्त एक राज्य लोक सेवा परिदान आयोग का गठन करेगी, और उसे इस अधिनियम के उद्देश्य की पूर्ति के लिए कृत्य सौंपेगी।

11. द्वितीय अपीलीय प्राधिकार को सीधे आवेदन भेजने की राज्य सरकार को शक्ति।
अधिनियम के अन्य प्रावधानों के होते हुए भी, यदि राज्य सरकार प्रावधानों के अनुपालन के आरोपों संबंधी आवेदन प्राप्त करती है तो उसे वह सीधे द्वितीय अपीलीय प्राधिकार को, अधिनियम के अनुसार अग्रतर कार्रवाई के लिए भेज सकेगी।

12. सद्भाव में की गयी कार्रवाई का संरक्षण ।
किसी भी व्यक्ति के विरूद्ध किसी ऐसी चीज के लिए, जिसे इस अधिनियम या उसके अधीन बनाये गये किसी नियम के अधीन सद्भाव में किया गया हो, कोई वाद, अभियोजन या अन्य न्यायिक कार्यवाही नहीं की जायेगी।

13. नियमावली बनाने की शक्ति।
(1) राज्य सरकार राजकीय गजट में अधिसूचना द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के प्रयोजनों को पूरा करने के लिए नियमावली बना सकेगी।
(2) इस अधिनियम के अधीन राज्य सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम राज्य विधान मंडल के समक्ष रखा जायेगा।

14. कठिनाईयाँ दूर करने की शक्ति ।
यदि इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राज्य सरकार, राजकीय गजट में प्रकाशित आदेश द्वारा, जो इस अधिनियम के उपबन्धों से असंगत न हो, कठिनाई दूर कर सकेगी:
परन्तु यह कि ऐसा कोई आदेश इस अधिनियम के लागू होने से दो वर्षों की समाप्ति के पश्चात नहीं किया जायेगा।

1 comment:

  1. I have submitted my application to form bith certificate of my son in pragyna kendra after all required proces. But after 1 month my birth certificate not issued. I asked pragya kenda but they told they have done their part and application forwaded.My question is is there any process to complain against it online.and to whom and how?

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